Raebareli: राहुल-सोनिया-अखिलेश के मंच पर, गांधी परिवार के कर्मचारी की दिखी योग्यता
उत्तर प्रदेश में ‘दो लड़कों’ की जोड़ी की सियासी केमिस्ट्री चुनावी रैलियों के मंच पर ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी दिख रही है। चुनाव की गहमागहमी के साथ ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने अपने कार्यकर्ताओं को निर्देश दिया था कि उत्तर प्रदेश की जिन लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ रही है, वहां पूरी ताकत झोंक दें, यह मानकर चलें कि सपा का ही उम्मीदवार मैदान में है। गांधी परिवार के गढ़ माने जाने वाले Rae Bareli और अमेठी में उनके निर्देशों का जमीनी स्तर पर असर दिख रहा है, जहां लाल टोपी पहने सपा समर्थक कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए पूरी ताकत से जुटे हुए हैं।
वहीं, शुक्रवार को खुद अखिलेश यादव सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ Rae Bareli और अमेठी में कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए निकल रहे हैं। अमेठी और Rae Bareli गांधी परिवार की परंपरागत सीट मानी जाती रही है। Rae Bareli में सोनिया गांधी लगातार चुनाव जीतती रही हैं, लेकिन बगल की अमेठी सीट का सियासी रंग बदल गया था। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को हराकर गांधी परिवार के अभेद्य किले माने जाने वाले अमेठी में भगवा झंडा फहराया था। इस बार राहुल गांधी अमेठी की जगह Rae Bareli सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जिनका मुकाबला भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह से है। गांधी परिवार के करीबी माने जाने वाले किशोरी लाल शर्मा अमेठी सीट पर भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के खिलाफ कांग्रेस से चुनाव लड़ रहे हैं। इस बार सपा ने इन दोनों सीटों पर कांग्रेस को न सिर्फ वॉकओवर दिया है, बल्कि उसे जिताने के लिए कड़ी मेहनत भी करती नजर आ रही है।
Rae Bareli-अमेठी लोकसभा सीटों पर पांचवें चरण में मतदान
Rae Bareli और अमेठी लोकसभा सीटों पर पांचवें चरण में मतदान है। चुनाव प्रचार का शोर थमने से एक दिन पहले कांग्रेस ने पूरी ताकत झोंक दी है। Rae Bareli सीट से चार बार सांसद रह चुकीं सोनिया गांधी शुक्रवार को Rae Bareli आईटीआई के पास एक रैली को संबोधित करेंगी। यह पहला मौका है जब सोनिया गांधी अखिलेश यादव के साथ किसी चुनावी रैली का मंच साझा करेंगी। इस तरह सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अखिलेश यादव Rae Bareli में एक साथ रैली कर सियासी सरगर्मी बढ़ाएंगे। इसके बाद राहुल-अखिलेश अमेठी में कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा के लिए जनसभा करेंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि गांधी परिवार के गढ़ में सपा कांग्रेस के लिए कितनी मददगार साबित होगी? समाजवादी पार्टी ने 1999 से अमेठी लोकसभा सीट और 2009 से Rae Bareli सीट पर कभी अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था। वह Rae Bareli सीट पर सोनिया गांधी और अमेठी सीट पर राहुल गांधी को वॉकओवर देती रही है, लेकिन कांग्रेस को जिताने के लिए जमीनी स्तर पर कड़ी मेहनत करती रही है। यह पहला मौका है जब दोनों हाई प्रोफाइल सीटों पर कांग्रेस की जीत सुनिश्चित करने के लिए सपा कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर एक टीम के रूप में काम कर रहे हैं, वहीं अखिलेश भी राहुल के साथ उतर रहे हैं।
Rae Bareli के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष और सपा नेता राम सिंह यादव डिजिटल से बात करते हुए कहते हैं कि Rae Bareli और अमेठी गांधी परिवार का गढ़ है, मुलायम सिंह यादव के जमाने से सपा यहां चुनाव नहीं लड़ रही है. पहले के लोकसभा चुनावों में अमेठी और Rae Bareli में कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में मौन सहमति होती थी, लेकिन इस बार घोषित गठबंधन है, जिससे सपा कार्यकर्ता ज्यादा उत्साहित हैं. सपा के लोग इस बात के लिए प्रतिबद्ध हैं कि Rae Bareli में राहुल गांधी और अमेठी में किशोरी लाल शर्मा को बड़ी जीत मिले. दोनों जिलों में सपा का मजबूत आधार है, जिसके चलते वो पूरी ताकत से और कांग्रेस के साथ तालमेल बनाकर काम कर रहे हैं. कांग्रेस के हर कार्यक्रम में सपा के लोग बड़ी संख्या में हिस्सा ले रहे हैं. प्रियंका गांधी की रैली में सपा कार्यकर्ता लाल टोपी पहने नजर आ रहे हैं.
Rae Bareli में राहुल के लिए सपा कितनी मददगार है
2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा ने कांग्रेस से Rae Bareli और अमेठी की सीटें छीनने की कोशिश की थी। अमेठी में भाजपा को सफलता मिली, लेकिन Rae Bareli का किला फतह नहीं कर पाई। सोनिया गांधी और दिनेश प्रताप सिंह के बीच कड़ी टक्कर थी। भाजपा ने फिर से दिनेश प्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है, जो इस बार सोनिया गांधी की जगह राहुल गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। पिछले दो चुनावों में Rae Bareli में कांग्रेस की जीत कम हुई है। 2019 के चुनाव में सोनिया गांधी को 55.80 प्रतिशत वोटों के साथ 534918 वोट मिले थे, जबकि भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह को 38.36 प्रतिशत वोटों के साथ 367740 वोट मिले थे। सोनिया गांधी यह चुनाव 167178 वोटों से जीतने में सफल रही थीं।
उत्तर प्रदेश में 2 साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में Rae Bareli का समीकरण समझिए। Rae Bareli लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं, जिसमें ऊंचाहार, बछरावां, सरेनी और हरचंद्रपुर में सपा के विधायक हैं, जबकि Rae Bareli सदर सीट से भाजपा की अदिति सिंह विधायक हैं। कांग्रेस का एक भी विधायक नहीं है और कांग्रेस को पांचों विधानसभा सीटों पर मात्र 1,40,706 वोट मिले हैं, जबकि भाजपा को Rae Bareli की पांचों विधानसभा सीटों पर 3,81,625 वोट मिले हैं। 2022 में सपा को सबसे ज्यादा 4,02,179 वोट मिले हैं। सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा है। इस तरह कांग्रेस-सपा के संयुक्त वोट 542885 वोट हैं, जबकि भाजपा के पास 381625 वोट हैं। इस तरह 161260 वोट ज्यादा हैं। हालांकि Rae Bareli में सपा विधायक मनोज पांडेय बागी हो गए हैं और भाजपा खेमे के साथ खड़े हैं, जबकि भाजपा की एकमात्र विधायक अदिति सिंह खुद को चुनाव प्रचार से दूर रख रही हैं। सपा-कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता एकजुट नजर आ रहे हैं, वहीं भाजपा को अपने ही नेताओं द्वारा तोड़फोड़ की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सपा से गठबंधन का दांव कांग्रेस के लिए कारगर साबित होता दिख रहा है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस का संगठन भले ही कमजोर हो, लेकिन सपा के संगठन की मजबूती राहुल गांधी के लिए संजीवनी बन रही है।
अमेठी में केएल शर्मा के लिए सपा कितनी मददगार
अमेठी लोकसभा क्षेत्र में पांच विधानसभा सीटें हैं। 2022 के चुनाव में सपा अमेठी और गौरीगंज से अपने दो विधायक बनाने में सफल रही, जबकि सलोन सीट पर वह बहुत कम वोटों के अंतर से हारी। अमेठी में भाजपा अपने तीन विधायक बनाने में सफल रही, लेकिन सपा ने उसे कड़ी चुनौती दी। अमेठी की 5 विधानसभा सीटों पर मिले वोटों पर नजर डालें तो सपा को 3,52, 475 वोट मिले, जबकि भाजपा को 4,18,700 वोट मिले। इस तरह भाजपा सपा से सिर्फ 66,225 वोट ज्यादा पा सकी। कांग्रेस सिर्फ जगदीशपुर सीट पर दूसरे नंबर पर रही। इसके अलावा उन्हें करीब सवा दो लाख वोट मिले थे, अगर इसे जोड़ दें तो सपा-कांग्रेस का वोट कांग्रेस से कहीं ज्यादा हो जाता है।
अमेठी का जातीय समीकरण अमेठी लोकसभा सीट के जातीय समीकरण पर नजर डालें तो दलित और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। अमेठी में करीब 17 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 34 फीसदी ओबीसी, 20 फीसदी मुस्लिम, 26 फीसदी दलित और 8 फीसदी ब्राह्मण तथा 12 फीसदी ठाकुर व अन्य मतदाता हैं। दलित मतदाताओं में सबसे ज्यादा आबादी पासी समुदाय की है, जो करीब 4 लाख है और मुस्लिम भी साढ़े तीन लाख हैं। ओबीसी में यादव मतदाता करीब ढाई लाख हैं, जबकि डेढ़ लाख मौर्य समुदाय और एक लाख कुर्मी मतदाता हैं।
स्मृति ईरानी पिछले चुनाव में अमेठी में विकास का हवाला देकर राहुल गांधी को हराने में सफल रही थीं, लेकिन इस चुनाव में उनके पांच साल के कामकाज की भी परीक्षा हो रही है। स्मृति ईरानी ने सवर्ण और ओबीसी वोटों को अपने पाले में करके 2019 की जंग जीत ली थी, लेकिन कांग्रेस के किशोरी लाल शर्मा के आने के बाद ब्राह्मणों के बीजेपी से छिटकने का खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा ठाकुर मतदाता भी असमंजस में नजर आ रहे हैं। सपा से गठबंधन के चलते मुस्लिम-यादव मतदाता कांग्रेस प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा के पीछे लामबंद होते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा शर्मा के ब्राह्मण समुदाय से होने से भी उन्हें राजनीतिक लाभ मिलने की संभावना है।
अमेठी में हार का हिसाब चुकता करने में जुटी कांग्रेस
अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस 2019 की हार का हिसाब चुकता करने में जुटी है। सपा के राजनीतिक आधार और गांधी परिवार की विरासत के बहाने कांग्रेस अमेठी में अपनी जीत का परचम लहराना चाहती है। सपा के दो विधायक कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेरने में जुटे हैं। गौरीगंज से सपा विधायक राकेश प्रताप सिंह ने बगावत कर दी है, जबकि अमेठी से विधायक महारानी देवी भी भाजपा खेमे के साथ खड़ी हैं। सपा के दोनों विधायक अमेठी में भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी के लिए प्रचार कर रहे हैं।
वहीं, अमेठी में भाजपा के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री राजा संजय सिंह टेंशन बन रहे हैं। राजा संजय सिंह ने गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ बैठक की, लेकिन उन्होंने कोई आदेश जारी नहीं किया। सूत्रों की मानें तो राजा संजय सिंह अमेठी में कांग्रेस के लिए मददगार साबित हो रहे हैं। इसके अलावा दीपक सिंह पर एफआईआर दर्ज होने के बाद जिस तरह से ठाकुर वोटों में नाराजगी देखी जा रही है, वह भाजपा प्रत्याशी स्मृति ईरानी की राजनीतिक राह में मुश्किलें खड़ी कर सकती है। इसके अलावा करणी सेना ने भी अमेठी में डेरा डाल दिया है। ऐसे में अमेठी की राजनीतिक लड़ाई काफी दिलचस्प और पेचीदा नजर आ रही है।